द्वन्द से रहित मन ध्यान है, कर्तमान क्षण में स्थित मन ध्यान है, दुकिधारहित मन ध्यान है, अपने स्रोत में स्थापित मन ध्यान है। - गुरुदेव श्री श्री रविशंकर