गुरुदेव श्री श्री रविशंकर एक विश्व विख्यात आध्यात्मिक और मानवतावादी नेतृत्वकत्र्ता हैं, जिनका जन्म 1856 में दक्षिण भारत में हुआ था। गुरुदेव बचपन में प्रायः गहरे ध्यान की अवस्था में पाये जाते थे। चार वर्ष की आयु में उन्होंने अपने शिक्षकों को भगवद्गीता सुनाकर अचंभित कर दिया था। आर्ट आॅफ लिविंग एक शैक्षणिक एवं मानवतावादी संगठन है, जिसके द्वारा गुरुदेव के शिक्षणों और सेवा अभियानों ने विश्वभर के 37 करोड़ लोगों के जीवन को छुआ है। आज विश्वभर में आर्ट आॅफ लिविंग के 156 केन्द्र चल रहे हैं। यह विश्व के सबसे बड़े गैर सरकारी संगठनों में से एक है।
”महर्शि पतंजलि एक ऐसे वैज्ञानिक थे जिन्होंने कम षब्दों में बहुत संक्षेप में वह सब कह दिया जो कुछ कहना आवष्यक था। वे मनुश्य के मन को भलीभांति समझते थे। यह कहां अटक सकता है और कहां उलझ सकता है, कहां भटक और गिर सकता है इसकी पूरी जानकारी उन्हें थी। वे जानते थे कि मनुश्य की भावनाऐं निरन्तर परिवर्तनषील होती हंै। उन्होंने मनुश्य की उत्पत्ति के विशय में विस्तार से बताया है अर्थात् हमारा जन्म किस प्रकार होता है? पतंजलि को मनुश्य के मनमस्तिश्क के विशय में पूर्ण जानकारी थी। किस प्रकार के प्रष्न मनुश्य के मानस में जन्म लेते हैं इनकी अन्तर्दृश्टि उन्हें थी।“
- गुरुदेव श्री श्री रवि षंकर
गुरुदेव श्री श्री रवि षंकर जी ने महर्शि पतंजलि के या¢ग सुत्र्ा®ं प्® एक अनुठा व्याख्यान दिया है। महर्शि पतंजलि इन सुत्र्ा®ं में मनुश्य जीवन के हर पहलु क® संब®घित करते हंै, अ®र सरल मागर्® स¢ हम्® मुक्ती की अ®र ले जाते हैे।