जब प्र¢म चमकता है, यह सच्चिदानन्द है। जब प्र¢म बहता है, यह अनुकम्पा है। जब प्र¢म उफनता है, यह क्रोध है। जब प्र¢म सुलगता है, यह ईश्र्या है। जब प्र¢म नकारता है, यह घृणा है।